जागतिक महिला दीन के सूनहरे मौके पर दो लाईन लेखिका – स्नेहल वेले इतावरे

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स्त्री हूं,मेरे अंदर के भरोसे का कभी तिरस्कार न करना,कभी सीता बन प्रेम नहीं आत्मसम्मान चुनूँगी।मेरे मर्यादा का कभी उल्ल्घन न करना,कभी द्रौपदी बन सरचना नहीं सहार चुनूँगी ।लेखक :- स्नेहल वेले इतवारे

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