राधाकुंड उत्सव नाम से कहा जाता है विशेषकर यह जाह्नवा माता के आविर्भाव दिवस पर विशेष

धर्म

प्रतिनिधि संजय कालिया जालंधर (पंजाब)

श्री जाह्नवा माता आविर्भाव दिवस की मंगल बधाई !जाह्नवा माता श्रीनित्यानंद प्रभु की पत्नी हैं ब्रजलीला में अनंग मंजरी एक मुख्य मंजरी हैं लीला आदि में सहायता करती हैं।एक बार जाह्नवा माता ने स्वप्न दिया के आप मेरा विग्रह बनाओ और ये विग्रह राधारानी की तरह हो, वृन्दावन में जो गोपीनाथ जी विराजमान हैं वहां यह विग्रह विराजित कर दो प्रियाजी को दायीं तरफ, मेरे को बांयी तरफ बैठा दो । ऐसा ही हुआलेकिन फिर भी एक संकोच सा बना के नित्यानंद प्रभु की पत्नी हैं नित्यानंद प्रभु बलराम स्वरूप हैं इनकी पत्नी कृष्ण की प्रेयसी के स्थान पर कैसे विराजेगीं और प्रिया जी को विशेषकर वहाँ से हटाना लेकिन फिर स्वप्न आदि हुआ वैष्णवों ने ऐसा ही किया ।वृन्दावन के गोपीनाथ जी मंदिर, जयपुर और राधाकुंड तट पर रघुनाथदास गोस्वामी समाधी प्रांगण स्थित मंदिर में भी ऐसे ही दर्शन हैं बीच में श्रीगोपीनाथ उनके दायें तरफ श्रीराधा जी और बायें तरफ श्रीजाह्नवा माता का विग्रह प्रिया जी के रूप में है सभी वैष्णव जानते हैं।वहीं कुंड की तरफ जाह्नवा माता कीबैठक है वहाँ उन्होंने भजन किया कभी जायें तो दर्शन करें । उसके साथ ही एक गुप्त सीढ़ी बनी है जहाँ जाह्नवा माता राधाकुंड में स्नान करती थी वहाँ आजकल महिलाएं स्नान करती हैं अब प्रश्न ये उठता है के जाह्नवा माता ने ऐसा क्यों कहा- क्योंकि जाह्नवा माता कृष्ण की पक्षपातनी मंजरी हैं जब वे निकुंज में देखती हैं राधारानी आये दिन मान करती हैं कृष्ण से मिलने को मना करती हैं तो उनको कष्ट होता है के राधारानी कृष्ण से मान करती हैं तो तुम मुझे उनके साथ विराजो जिससे कृष्ण को रासविलास का जब भी मन हो वो मेरे से करेंगे तो राधारानी थोड़ी नम्र हो जायेंगी इस भाव से जाह्नवा माता विराजती हैं। जाह्नवा माता का बड़ा उज्ज्वल प्रकाश हैपांच दिन का विशाल उत्सव होता है इसे राधाकुंड उत्सव नाम से कहा जाता है विशेषकर यह जाह्नवा माता के आविर्भाव दिवस पर होता है।ये संक्षेप में है विस्तृत में ग्रंथ में पढ़ा जाये। ब्रज के सन्त नामक पुस्तक में जाह्नवा माता का चरित्र है बहुत ही अद्भुत चरित्र है गुरु वैष्णवों से सुना जाय।

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