प्रतिनिधि अब्दुल रहमान राजस्थान विजयनगर
प्रार्थी परिवादी विजय पुत्र श्री रामदेव व प्रार्थीया सीमा , इन्द्रचंद प्रजापति,यशवंत चौहान,दर्शना जैन के मार्फत सुनील कुमार जैन पुत्र श्री चांदमल जैन निवासी प्राज्ञ स्कूल के सामने, व्यावर रोड, विजयनगर के विरुद्ध दो अलग अलग परिवाद अंतर्गत धारा 420, 406, 467, 468, 471, 384 भारतीय दण्ड संहिता के तहत न्यायालय श्रीमान न्यायिक मजिस्ट्रेट , प्रथम वर्ग, बिजयनगरमे पेश कर न्यायालय श्रीमान से निवेदन किया कि प्रार्थी एवं अभियुक्त के मध्य अच्छी जान पहचान चली आ रही एवं अभियुक्त सुनील कुमार जैन जो व्याज पर रूपये उधार देने का धंधा करता है इस कारण मेने भी सुनील जैन से अपनी आवश्यकता के लिए 70000 रूपये उधार लिए उक्त उधार ली गई रकम की एवज में सुनील कुमार जैन ने मेरे से 4-5 खाली चेक्स एवं 500 रूपये का खाली स्टाम्प व कुछ खाली पेपरो पर केवल हस्ताक्षर करवा कर व जमानति के रूप मे मेरी पत्नी सीमा के भी 4-5 खाली चैकृस व खाली कागजो हस्ताक्षर करवा कर लिए गए कुछ महीने तक मेने ब्याज के रूपये उसके ऑफिस मे नकद जमा कराये फिर मेरे द्वारा उधार ली गई राशि ब्याज सहित वापस लौटा दिए उसके बाद भी अभियुक्त सुनील कुमार जैन द्वारा मेरे व मेरी पत्नी के खाली हस्ताक्षर युंक्त चैक स्टाम्प व पेपर वापस नहीं लौटाये और उनमे कुटरचना कर अभियुक्त सुनील कुमार जैन ने उसे बैंक में पेश कर अनादरित करा लिए आदि आदि जिस पर न्यायालय श्रीमान न्यायिक मजिस्ट्रेट , बिजयनगर (राज.)द्वारा न्यायलय मे पेश किये गए दोनों फौजदारी परिवाद को अंतर्गत धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत पुलिस थाना विजयनगर को भिजवाने के आदेश प्रदान कर अभियुक्त सुनील कुमार जैन पुत्र श्री चाँदमल जैन के विरुद्ध FIR दर्ज करने के दिए आदेश । अन्य कई मामले को लेकर पीड़ित व्यक्ति थाने में शिकायत देता है तो मुकदमा क्यों नहीं दर्ज किया जाता है, या हो पाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह और क्या कारण है , जो सोचने पर मजबूर कर देता है?यह भी एक सवाल खड़े करता है।