खाकी का कमाल,पीड़िता के पति को नोटिस में बताया आरोपी

क्राइम

प्रतिनिधि :अब्दुल रहमान राजस्थान

विजयनगर खबरदार, खबरदार ,खबरदार पीड़ित पक्ष कोई शिकायत लेकर पुलिस प्रशासन के पास थाने में जाने से पहले विचार कर ले कि आप इंसाफ पाने के लिए न्याय के पहले दरवाजे पर दस्तक देने के लिए थाने की शरण में जाकर रिपोर्ट दर्ज करवाते हैं लेकिन सावधान रहना क्योंकि पुलिस को आरोपी और पीड़ित में फर्क नहीं पता! नोटिस को पढ़कर तो यही लगता है कहीं भजनलाल की पुलिस तुम्हें ही नोटिस के जरिए आरोपी बनाने नहीं लग जाए ? बिल्कुल सही सुना है आपने ! जी हां हम बात कर रहे हैं विजयनगर की जहां ऐसा ही कुछ हुआ है। हम आपको यूं ही नहीं कह रहे हैं यह तो खुद पुलिस प्रशासन के द्वारा भेजा गया पीड़ित महिला के नोटिस में लिखा हुआ है। मामला कुछ यूं है कि पीड़ित महिला ने थाने पहुंचकर अपने पति के साथ तथा परिवार के कुछ सदस्य भी थे जिन्होंने 376 का मामला दर्ज करवाया। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्यवाही शुरू कर आरोपी के खिलाफ साक्ष्य पेश करने को लेकर पीड़िता के नाम धारा 91 के तहत नोटिस भेजा जिसमें पीड़िता के पति का नाम असलम उर्फ इस्लाम है। पुलिस द्वारा भेजे गए नोटिस में बिंदु दो पर जिस तरह से पुलिस के द्वारा उल्लेख किया गया है कि आरोपी इस्लाम से संबंधित कोई रिकॉर्डिंग हो तो उनके समक्ष पेश किया जाए जिससे पीड़िता के द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर आगे की कार्यवाही को अंजाम दिया जा सके। पुलिस के द्वारा भेजा गया पीड़िता को नोटिस में उसके पति को आरोपी बना दिया? जबकि नोटिस में आरोपी व्यक्ति का जिक्र तक नहीं है। पीड़ित पक्ष को भेजे गए नोटिस को देखकर यही लगता है कि पीड़ित परिवार को न्याय मिलने की बजाय आरोपी की नजर से तो नहीं देखा जा रहा है? सवाल उठना लाजिमी है जब पुलिस ने लिखित रूप में नोटिस देकर पीड़ित पक्ष को ही कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है उससे तो यही लगता है कि पुलिस प्रशासन के द्वारा भेजे गए नोटिस को सोच समझकर या उसे बिना पढ़े ही नोटिस भेज दिया गया है? वास्तविक में पीड़ित का नाम इस्लाम ना होकर अन्य है, जिसका उल्लेख तक नहीं है? उक्त नोटिस पर थाना अधिकारी करण सिंह के हस्ताक्षर है

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