शायरों की महफिल

शायरों की महफिल (यह ग़ज़ल पब्लिश्ड किताब से) दर-ब-दर इक दर्द को जब दिल हमारा मिल गया। डूबने वाले को तिनके का सहारा मिल गया।। देख मेरी चश्म-ए-गिर्या* ऐ समंदर हमनशीं। कम से कम तुझको भी कोई इस्तिआ’रा मिल गया।। (रोती हुई आँख, रूपक) रौशनाई* से लहू की मैने लिक्खी है ग़ज़ल। मुझको आखिरकार मेरा […]

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