मसला है कश्मीर

लेखिका: स्नेहल वेले
खुदा ने धरती पर जन्नत बनाई "कश्मीर" डर है इंसान उसे नर्क ना बना दे !
सोचा था कश्मीर पर लीखी जायेंगी हसीन कवितायें, लेकिन हाल-ए-कश्मीर तो कुछ अलग ही था
धारा के तहे बंधा था कश्मीर आग की लपेटो में जल रही थी वादियां
बर्फ की सफेद शाल ओढे कश्मीर की सुदंरता बिखर चली संघटनाओ और नेताओं के दुश्वारियां में,
खुदा की रहमत और इंसानो की हैवानियत बस यहीं अफसाना था जन्नत-ए-कश्मीर का,
यहाँ तो मोसम के साथ हालात भी तेजी से बदलते थे यह भी एक मसला था,
मसला है साहब कश्मीर अभी भी मसला बना है हम जैसो के लीये जन्नत और सरहद पार अभी भी कश्मीर एक मसला है।
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