मसला है कश्मीर
लेखिका: स्नेहल वेले
खुदा ने धरती पर जन्नत बनाई "कश्मीर" डर है इंसान उसे नर्क ना बना दे !
सोचा था कश्मीर पर लीखी जायेंगी हसीन कवितायें, लेकिन हाल-ए-कश्मीर तो कुछ अलग ही था
धारा के तहे बंधा था कश्मीर आग की लपेटो में जल रही थी वादियां
बर्फ की सफेद शाल ओढे कश्मीर की सुदंरता बिखर चली संघटनाओ और नेताओं के दुश्वारियां में,
खुदा की रहमत और इंसानो की हैवानियत बस यहीं अफसाना था जन्नत-ए-कश्मीर का,
यहाँ तो मोसम के साथ हालात भी तेजी से बदलते थे यह भी एक मसला था,
मसला है साहब कश्मीर अभी भी मसला बना है हम जैसो के लीये जन्नत और सरहद पार अभी भी कश्मीर एक मसला है।
Related News
एकलव्य ग्रंथालय येथे भूतपूर्व राष्ट्रपती डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम आझाद यांची जयंती साजरी
16-Oct-2025 | Sajid Pathan
*मदारी गारोडी समाजाच्या विविध समस्यांवर खासदार अमर काळे यांच्यासोबत बैठक*
24-Sep-2025 | Arbaz Pathan
सालेकसा वनपरिक्षेत्र अधिकारी याचे पद रिक्त अवैध कामांना आले उत शासन प्रशासनाचे दुर्लक्ष
16-Aug-2025 | Sajid Pathan