वर्धा के बांधकाम विभाग में ‘लाइसेंस का धंधा’ ज़ोरो पर?

नावेद पठाण मुख्य संपादक
यहाँ पैसों से तय होती फाइलों की रफ्तार!
वर्धा:वर्धा के सार्वजनिक बांधकाम विभाग में एक के बाद एक चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। आरोप है कि यहां कंस्ट्रक्शन लाइसेंस जारी करने और नवीनीकरण की प्रक्रिया ‘पैसे दो, काम लो’ के फार्मूले पर चल रही है। लाइसेंस मंजूर करने का यह सरकारी काम अब खुलेआम ‘रकम के खेल’ में बदल गया है।
कार्यालय से जुड़े कुछ कथित मध्यस्थ साफ शब्दों में कहते हैं – “पैसे जितने ज्यादा, लाइसेंस उतना जल्दी।” सवाल ये उठता है कि जब नियम, दस्तावेज़ और योग्यता सब कुछ पूरा हो, तो फिर रिश्वत क्यों?
नियमों के मुताबिक, कंस्ट्रक्शन लाइसेंस के लिए आवेदक को शैक्षणिक योग्यता, अनुभव प्रमाणपत्र और शासन शुल्क देना अनिवार्य है। लेकिन हकीकत में यहाँ ‘नियमों’ की नहीं, ‘रकमों’ की सुनवाई हो रही है। जिसके पास सिफारिश या पैसा है, उसका काम फटाफट; और जो ईमानदारी से आवेदन करे, उसकी फाइल महीनों तक धूल फाँकती रहती है।
स्थानीय ठेकेदारों का कहना है — “अगर विकास के लिए जरूरी लाइसेंस ही बिकने लगे, तो ईमानदार ठेकेदारों और युवाओं का भविष्य कौन बचाएगा?”
इन आरोपों से वर्धा सार्वजनिक बांधकाम विभाग की साख पर बड़ा दाग लगा है। अब देखना ये है कि प्रशासन इस बढ़ते ‘लाइसेंस घोटाले’ पर कार्रवाई करता है या फिर यह भी एक फाइल बनकर किसी दराज़ में दबा दिया जाएगा।
इस प्रकरण मे HT NEWS की छानबीन जारी है,जल्द ही इसपर विस्तृत खबर दर्शकों को प्राप्त होंगी