बतुकम्मा महोत्सव 2025 का भव्य आयोजन: तेलुगु वारी फ़ाउंडेशन ने सफलतापूर्वक मनाया 5वां वर्ष

शहर प्रतिनिधी नरेंद्र कांबळे बल्लारपूर
बल्लारपुर : तेलुगु संस्कृति और परंपरा को समर्पित, तेलुगु वारी फ़ाउंडेशन ने इस वर्ष भी अपने वार्षिक बतुकम्मा सदुला पंडुगा महोत्सव का भव्य और सफल आयोजन किया। गणपति वार्ड के शगुन लॉन के सामने खुले मैदान में आयोजित यह पांचवां वार्षिक महोत्सव, न केवल पारंपरिक उत्साह का प्रतीक बना, बल्कि तेलुगु समुदाय की एकजुटता और सांस्कृतिक गौरव को भी प्रदर्शित किया।
इस गैर-राजनीतिक आयोजन को पूरी तरह से फ़ाउंडेशन के सदस्यों के आर्थिक सहयोग से संभव बनाया गया, जो उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। महोत्सव में बच्चों, युवतियों और महिलाओं ने बतुकम्मा देवी के प्रति अपनी अटूट आस्था और श्रद्धा को दर्शाते हुए पारंपरिक परिधानों में जीवंत नृत्य प्रस्तुत किया। हर तरफ रंग-बिरंगे फूलों से सजी बतुकम्मा और उत्सव का उल्लास वातावरण में घुल गया था।
महिलाओं के उत्साह और कला को प्रोत्साहित करने के लिए इस महोत्सव में कई श्रेणियों में पुरस्कार दिए गए। "फर्स्ट एंट्री", "बेस्ट बतुकम्मा", "बेस्ट ट्रेडिशनल ड्रेसिंग", "बेस्ट डांस" और "एनर्जेटिक डांस" जैसी श्रेणियों में विजेताओं का चयन प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल ने किया, जिसमें नंदू मास्टर, प्रतीक गडमलवार, लता अंबाला, और ज्योतिलक्ष्मी कलवला शामिल थे।
इस वर्ष के कार्यक्रम को सफल बनाने का श्रेय कार्यकार्याध्यक्ष रवि गडमलवार और मंच संचालक श्रीनिवास उन्नावा को जाता है, जिन्हें स्वर्णा म्याडम और श्रीनिवास मासे का प्रभावी सहयोग मिला।
इस शानदार महोत्सव को सफल बनाने में तेलुगु वारी फ़ाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष रवि पुप्पलवार, उपाध्यक्ष आनंद महाकाली, सचिव प्रा. नागेश्वर गंडलेवार, कोषाध्यक्ष उमेश कोलावार, संघठक सतीश नंदाराम, महेश जंजरलावार, रमेश कावेटी, श्रीनिवास उन्नावा, रोहित जंगमवार, राजकुमार जुट्टू, संजय मुपिडवार, सतीश कटकुर, सदानंद बुद्धार्थी, दिनेश सेटगोपंवार, श्रीनिवास मासे, अनिल मेकलवार, प्रसाद पुली, कांताराव रावला, प्रकाश गुनापल्ली, परिश महाजनवार, शशांक कोताकोंडा, रमेश पुप्पलवार, सतीश वगावार, कुमार दासरी सहित सभी सदस्यों का अथक परिश्रम और समर्पण सराहनीय रहा।
कार्यक्रम के अंत में, फ़ाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष रवि पुप्पलवार ने सभी प्रतिभागियों, दर्शकों, मीडिया और सहयोगियों का हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह महोत्सव केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी जड़ों और सांस्कृतिक पहचान को जीवित रखने का एक प्रयास है।