मोहम्मद रफी का गायन प्राकृतिक प्रतिभा की मिसाल : मोहन अग्रवाल

Wed 31-Dec-2025,01:33 AM IST -07:00
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नावेद पठाण मुख्य संपादक 

वर्धा : मोहम्मद रफी का गायक बनने का सफर अत्यंत साधारण रहा, लेकिन अपनी मधुर और बहुमुखी आवाज के दम पर वे हिंदी सिनेमा के महानतम पार्श्व गायकों में शामिल हो गए। उन्हें ‘शहंशाह-ए-तरन्नुम’ के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रतिपादन वर्धा जिले के वरिष्ठ समाजसेवी मोहनबाबू अग्रवाल ने किया।

वे सत्यानारायण बजाज सार्वजनिक ग्रंथालय के सभागृह में स्वरधारा संगीत मंच एवं रफी फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे’ कार्यक्रम में अध्यक्षीय भाषण दे रहे थे।

मोहन अग्रवाल ने कहा कि मोहम्मद रफी केवल रोमांटिक गीतों तक सीमित नहीं थे। उन्होंने सैकड़ों भजन, अनेक ग़ज़लें और हर प्रकार के भावपूर्ण गीत गाए। उनकी आवाज की मधुरता, व्यापक रेंज और गायकी ने हिंदी सिनेमा जगत में दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। उनके गाए गीत आज भी लोगों के दिलों की धड़कन बने हुए हैं। वास्तव में, मोहम्मद रफी का गायन प्राकृतिक प्रतिभा की एक जीवंत मिसाल है।

कार्यक्रम का उद्घाटन समाजसेवी सुनील बुरांडे के हाथों संपन्न हुआ। इस अवसर पर अतिथि के रूप में लायंस क्लब वर्धा के पूर्व अध्यक्ष विजय सत्यम, ऑल इंडिया शास्त्री सोशल फोरम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इमरान राही, पतंजलि योग समिति के अध्यक्ष दामोदर राऊत, शारदा कला व सांस्कृतिक मंडल की अध्यक्ष उषा फाले, खासगी प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुरेश कुमार बरे, ओ.पी. नैय्यर फैंस क्लब के पूर्व अध्यक्ष नाना पहाड़े, समाजसेवी एड. विजय सिंह ठाकुर तथा वरिष्ठ समाजसेवी सुरेश पट्टेवार सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे।

‘तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे’ कार्यक्रम में गायक यशवंत पालेरिया, मोहन शेवले, मनीष खडतकर, समीर श्रीराव, गिरीश सावळकर, प्रल्हाद मानकर, स्मिता पडोळे और ऋद्धि लेकुरवाडे ने मोहम्मद रफी एवं अन्य महान गायकों के गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध मंच संचालक किरण पट्टेवार और संध्या सावरकर ने किया। कार्यक्रम में वर्धा शहर के अनेक गणमान्य संगीत प्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन शिरडी के साईं बाबा पर आधारित कव्वाली से किया गया।