वर्धा में फल-फूल रहा अवैध ब्याजखोरी का धंधा

Thu 06-Nov-2025,06:14 AM IST -07:00
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नावेद पठाण मुख्य संपादक 

प्रशासन की आंखों के सामने नागरिकों का आर्थिक शोषण जारी

वर्धा। वर्धा शहर में अवैध ब्याजखोरी (सूदखोरी) का धंधा खुलेआम फल-फूल रहा है। आर्थिक संकट में फंसे लोगों को “मदद” के नाम पर जाल में फँसाकर कुछ तथाकथित सूदखोर नागरिकों का खुलेआम शोषण कर रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है — आखिर यह काला कारोबार किसके संरक्षण में फल-फूल रहा है?

बिना अनुमति चल रहा अवैध धनउधारी का धंधा!

सूत्रों के अनुसार, शहर के कई क्षेत्रों में निजी व्यक्ति बिना किसी सरकारी अनुमति के अत्यधिक ब्याज दरों पर धन उधार देते हैं। यदि कोई व्यक्ति ₹10,000 का कर्ज लेता है, तो उसे हर महीने ₹2,000 से ₹2,500 तक ब्याज चुकाना पड़ता है। समय पर रकम न चुकाने पर “पेनल्टी” के नाम पर अतिरिक्त रकम वसूली जाती है।

कई मामलों में ₹10,000 का कर्ज महज़ दो-तीन महीनों में ₹20,000 से ₹30,000 तक पहुँच जाता है, जिससे कर्जदार पूरी तरह आर्थिक जाल में फंस जाते हैं।

धमकी, गाली-गलौज और मानसिक दबाव

पीड़ितों के अनुसार, समय पर रकम न लौटाने पर सूदखोर गाली-गलौज करते हैं, धमकाते हैं और सार्वजनिक रूप से अपमानित करने की कोशिश करते हैं। कुछ मामलों में शारीरिक नुकसान पहुंचाने की धमकी भी दी जाती है।

कई सूदखोर दोपहिया, चौपहिया वाहन या मोबाइल जैसी वस्तुएं गिरवी रखकर कर्ज देते हैं। तय समय में भुगतान न होने पर ये वस्तुएं बेच दी जाती हैं या कब्जे में रखी जाती हैं। कई लोगों ने शिकायत की है कि मामूली रकम के चलते उनका वाहन या मोबाइल हमेशा के लिए छिन गया।

आर्थिक और मानसिक शोषण का बढ़ता जाल

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इन अवैध सूदखोरों के कारण कई परिवार आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुके हैं। कुछ ने तो मानसिक तनाव और अपमान के कारण आत्महत्या तक का रास्ता चुना है। इसके बावजूद प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।

नागरिकों की मांग — सघन जांच और कठोर कार्रवाई हो

शहरवासियों ने जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और आर्थिक गुन्हे शाखा से मांग की है कि इस अवैध ब्याजखोरी नेटवर्क की सघन जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, ऐसे लोगों को संरक्षण देने वाले प्रभावशाली व्यक्तियों की भी जांच की जाए।

प्रशासन मौन क्यों?

शहर में चर्चा है कि इतने खुलेआम चल रहे इस काले कारोबार की जानकारी प्रशासन को नहीं है, यह मानना कठिन है। सवाल उठता है — क्या यह सब किसी राजनीतिक या प्रभावशाली संरक्षण में चल रहा है? यदि नहीं, तो अब तक इन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

नागरिकों की अपील

वर्धा के नागरिकों ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि इस अवैध ब्याजखोरी के जाल को तुरंत खत्म किया जाए और पीड़ितों को न्याय दिलाया जाए। साथ ही संबंधित पुलिस ठाणों को निर्देशित किया जाए कि ऐसे मामलों पर विशेष निगरानी रखी जाए और दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई की जाए।