रेस्टोरेंट्स में खुलेआम शराब सेवन से बिगड़ रहा माहौल, नागरिकों ने उठाई कार्रवाई की मांग

नावेद पठाण मुख्य संपादक
वर्धा । सावंगी मेघे थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अधिकांश रेस्टोरेंट्स और ढाबों में इन दिनों खुलेआम शराब सेवन का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। भोजन के बहाने लोग घंटों तक बैठकर शराब पीते हैं और नशे में धुत होकर शोर-शराबा, गालीगलौज तथा झगड़े करने लगते हैं। इस वजह से वहाँ मौजूद परिवारों और बच्चों के लिए असुरक्षा और असहजता का वातावरण निर्मित हो रहा है।
नागरिकों में बढ़ता असंतोष
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि आए दिन नशे में धुत लोग सार्वजनिक स्थलों पर मारपीट और बहसबाजी करते देखे जाते हैं। कई बार स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि पोलिस को मौके पर पहुँचकर हस्तक्षेप करना पड़ता है। इसके बावजूद ऐसी घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। खासकर शाम ढलते ही ये रेस्टोरेंट शराबियों के अड्डों में तब्दील हो जाते हैं।
शराबबंदी कानून पर सवाल
गौरतलब है कि वर्धा जिला महात्मा गांधी की कर्मभूमि है और यहाँ लंबे समय से शराबबंदी लागू है। जिलेभर में हर साल नशामुक्त समाज की शपथ दिलाई जाती है। लेकिन इसके बावजूद सावंगी मेघे क्षेत्र में खुलेआम शराब सेवन होना प्रशासन और पोलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। नागरिकों का कहना है कि जब कानून ही इसकी अनुमति नहीं देता, तो यह कारोबार कैसे फल-फूल रहा है? क्या यह प्रशासनिक उदासीनता और मिलीभगत का परिणाम नहीं है?
पोलिस-प्रशासन की चुप्पी पर नाराज़गी
लोगों का कहना है कि इस अवैध गतिविधि की जानकारी जिम्मेदार विभागों को है, फिर भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इससे नागरिकों में यह धारणा बन गई है कि कहीं न कहीं इस कारोबार को संरक्षण प्राप्त है।
सामाजिक माहौल पर नकारात्मक असर
नशे में धुत युवाओं के हुड़दंग और गाड़ियों की भीड़ से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई बार बच्चों के सामने अशोभनीय शब्दों का प्रयोग और गालीगलौज की घटनाएँ सामाजिक वातावरण को दूषित कर रही हैं।
पोलिस अधीक्षक अनुराग जैन से ठोस कदम की उम्मीद
स्थानीय नागरिकों ने माँग की है कि वर्धा पोलिस अधीक्षक अनुराग जैन स्वयं इस पूरे मामले का संज्ञान लें और सावंगी मेघे थाना क्षेत्र में विशेष अभियान चलाकर ऐसे रेस्टोरेंट्स और ढाबों पर कार्रवाई करें। लोगों का कहना है कि जब तक जिला स्तर से कठोर कदम नहीं उठाए जाते, तब तक स्थानीय स्तर पर किसी बदलाव की संभावना नहीं है।
अब देखना यह होगा कि पोलिस अधीक्षक अनुराग जैन और पोलिस प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर किस स्तर की कार्रवाई करते हैं और क्या जिले की पहचान 'नशामुक्त वर्धा' को कायम रखने के लिए ठोस पहल की जाती है या नहीं।