प्राचीन मर्दानी खेल भारतीय इतिहास का अभिन्न हिस्सा : रामदास तडस
नावेद पठाण मुख्य संपादक
विद्यालयीन आष्टेडु खेल प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन संपन्न
वर्धा : भारतीय संस्कृति में प्राचीन मर्दानी खेलों को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, क्योंकि ये केवल शारीरिक व्यायाम का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विकास का भी एक सशक्त साधन हैं। ये खेल शरीर को तंदुरुस्त रखते हैं, मानसिक चपलता बढ़ाते हैं तथा टीम भावना और खेलभावना जैसे मूल्यों की भी शिक्षा देते हैं। कई प्राचीन मर्दानी खेल शिवाजी महाराज के काल से और उससे पहले की युद्धकला से जुड़े हुए हैं — जो भारतीय इतिहास का अभिन्न हिस्सा हैं। यह विचार आष्टेडु अखाड़ा फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद रामदास तडस ने व्यक्त किए।
वे 12 अक्टूबर को मसाला स्थित क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले सभागृह में आयोजित एक दिवसीय विद्यालयीन आष्टेडु खेल प्रशिक्षण शिविर में अध्यक्ष के रूप में बोल रहे थे। यह आयोजन आष्टेडु मर्दानी अखाड़ा एसोसिएशन वर्धा द्वारा किया गया था।
शिविर का उद्घाटन मसाला ग्राम पंचायत के उपसरपंच संदेश किटे के हाथों संपन्न हुआ। कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में आष्टेडु फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इमरान राही, फेडरेशन के संरक्षक गुरु राजेश तलमले, वरिष्ठ समाजसेवी जयंत (गुंडुभाऊ) कावळे, महेश गुल्हाणे, मोहन मोहिते, वरिष्ठ समाजसेवी राजू लभाणे, ऑल इंडिया शास्त्री सोशल फोरम के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष विजय नाखले, प्रमुख मार्गदर्शक गुरु उल्हास वाघ, प्रविण चौरे, सुनील गावंडे, प्रज्वल चोरे, सुधाकर आसुकर, वर्षा डेहणकर, लीला वाघ आदि गणमान्य व्यक्तित्व मंचासीन थे।
प्रस्तावना करते हुए इमरान राही ने कहा कि खेल केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि शारीरिक क्षमता बढ़ाने वाला एक प्रभावी व्यायाम है। ये खेल व्यक्ति में चपलता, समन्वय और एकाग्रता बढ़ाते हैं, साथ ही मानसिक दृढ़ता भी विकसित करते हैं। भारतीय संस्कृति में प्राचीन खेलों का महत्व उनके सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्वरूप के कारण है।
मोहन मोहिते ने कहा कि प्राचीन खेल भारतीय संस्कृति का मूलभूत अंग हैं। इस अवसर पर राजेश तलमले और गुंडुभाऊ कावळे ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का संचालन अमोल मानकर ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन गुरु उल्हास वाघ ने किया।
कार्यक्रम की सफलता के लिए सिहान साहिल वाघ, इंद्रपाल गवळी, संजय आत्राम, संजीव वाघ, नदीम शेख, अभिजीत पारगांवकर, आशुतोष चव्हाण, सायली वाघ, विक्रांत गव्हाणे, मिहीर वाघ, नेदांत चौधरी, आशीष ठाकरे, युवराज पाहुणे, पुरख शर्मा, संजना चौधरी, कल्याणी खडसे, वैभव साखरकर, तेजस निवल, संग्राम मोहिते, बजरंग लाजुरकर, नितीन यादव, सुनील शिंदे, सुनील पाटील, स्वाती दोडके, आर्यन छापेकर, प्रेम कंवर, कांत्री मोहिते, धनश्री मैंद, कैवल्य सागरकर, धनश्री गोंडे तथा महिला मंडल ने अथक परिश्रम किए।